जशपुरनगर /पंड्रापाठ (निप्र) । जिले के ग्रामीण क्षेत्र आज भी दूरसंचार सेवा की पहुंच से दूर है। पंचायतों को इंटरनेट से जोड़ने और डिजीटल इंडिया जैसे योजना कागजों में सिमटी हुई है। पहाड़ी कोरवाओं का सबसे बड़ा आवास क्षेत्र पंड्रापाठ में मोबाइल सेवा सिरे से गायब है।
सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल द्वारा स्थापित मोबाइल टॉवर बरसों से बंद है। अधिकारियों द्वारा उपेक्षित छोड़ दिया गया करोड़ों का उपकरण जंग खाते हुए कबाड़ में तब्दील हो रहा है। तकनीकी खराबी का शिकार इस मोबाइल टॉवर को विभाग मुख्यमंत्री के प्रवास के दौरान भी नहीं सुधार सका था। निजी दूरसंचार कंपनियां भी इस क्षेत्र में सेवा देने में रूचि नहीं ले रही है। अपनों से बात करने के लिए यहां के लोगों को 10 किलोमीटर की दौड़ लगानी पड़ती है।
जिले के बगीचा विकासखंड में स्थित पंड्रापाठ पहाड़ी कोरवाओं का सबसे बड़ा निवास क्षेत्र है। इस क्षेत्र ने पिछले कुछ सालों में आलू और टाऊ उत्पादन से जशपुर के साथ प्रदेश को नई पहचान दिलाई है। पहाड़ी कोरवा क्षेत्र को दूरसंचार सेवा से जोड़ने के लिए बीएसएनएल ने तकरीबन 6 साल पहले यहां मोबाइल टॉवर स्थापित किया था। कुछ दिनों तक चलने के बाद तकनीकी गड़बड़ी का शिकार हो कर टॉवर बंद हो गया। स्थानीय उपभोक्ताओं के मुताबिक टॉवर के बंद होने के बाद बीएसएनएल के कर्मचारियों ने इसे सुधार कर चालू भी किया। लेकिन कुछ दिनों तक चलने के बाद पुनः स्थिति जस की तस हो गई। बार-बार तकनीकी खराबी से परेशान होकर कर्मचारियों ने इसे उपेक्षित छोड़ दिया। पिछले दो साल से यह टॉवर पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है। निजी कंपनियों की सेवा उपलब्ध ना होने से पंड्रापाठ दूरसंचार सेवा से पूरी तरह से वंचित हो गया है। बंद बीएसएनएल का करोड़ों का उपकरण कबाड़ में तब्दील होने लगा है। इस टॉवर को विभाग के अधिकारियों ने नवंबर माह में मुख्यमंत्री के पंड्रापाठ प्रवास के दौरान सुधार कर चालू करने का प्रयास किया था,लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली। पंड्रापाठ निवासी मिथलेस गुप्ता ने बताया कि मोबाइल से बात करने के लिए लोगों को 10 किलोमीटर का सफर कर सन्ना तक आना पड़ता है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार की स्थिति और भी बदतर है। ग्रामीण क्षेत्रों के कई मोबाइल टॉवर महिनों से बंद है तो कुछ टॉवर महिने में बमुश्किल एक सप्ताह ही चालू हालत में रहते हैं। एक ओर जहां केंद्र सरकार भारत नेट योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में तेज गति की इंटरनेट सेवा शुरू करने के लिए योजना तैयार करने में जुटी हुई है,वहीं दूसरी ओर बीएसएनएल के अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही से जिले के गांवों में मोबाइल कनेक्टिवीटी ही उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल ब्राड बैंड सर्विस अब भी दूर की कौड़ी बनी हुई है।
लचर व्यवस्था से गिरा राजस्व का ग्राफ
आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले में बीएनएनएल मोबाइल और इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली पहली कंपनी है। मुठ्ठी भर उपभोक्ताओं के साथ शुरू हुई मोबाइल सेवा समय के साथ बढ़ता गया। उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने से कंपनी के राजस्व खाते में जिले से जबरदस्त उछाल मिला। लेकिन निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों के जिले में दखल के साथ ही ना केवल बीएसएनएल की उपभोक्ता संख्या घटी अपितु राजस्व में भी 50 से 70 प्रतिशत तक का गिरावट आ चुका है। लेकिन अब भी बीएसएनएल के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। मोबाइल सेवा का हाल यह है कि शाम के वक्त बीएसएनएल से बीएसएनएल में बात करने में उपभोक्ताओं को मशक्कत करनी पड़ती है। लैंड लाइन सेवा जिला मुख्यालय में आधे से हिस्से में अब तक नहीं पहुंच पाई है। केबल बिछाने के काम में व्यापक पैमाने में हुई गड़बड़ी का खामियाजा अब भी यहां के उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में बीएसएनएल की मोबाइल सेवा शुरू होने के शुरूआती वर्षो के दौरान 30 लाख का राजस्व सिर्फ जशपुर और इसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से कंपनी को प्राप्त होता था। लेकिन लगातार टॉवरों के बंद रहने और कनेक्टिवीटी ना मिल पाने से परेशान उपभोक्ताओं ने बीएसएनएल से दूरी बनाना शुरू कर दिया। इस बीच निजी कंपनियों के फैलते जाल से उपभोक्ताओं को विकल्प भी मिलने लगा। नतीजा वर्तमान में बीएसएनएल का राजस्व बामुश्किल 20 से 25 लाख तक सिमट कर रह गया है।
नहीं मिल रहा थ्री जी सेवा का लाभ
सोशल मीडिया के बढ़ते लगातार बढ़ते क्रेज के कारण तेज इंटरनेट कनेक्टिविटी की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है। बहुप्रचारित 3 जी मोबाइल इंटरनेट सेवा की मांग जशपुर जिले में तेजी से बढ़ती जा रही है। लेकिन बीएसएनएल सहित निजी दूरसंचार कंपनियों द्वारा 3 जी सेवा के नाम पर उपभोक्ताओं को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है। जिला मुख्यालय जशपुर में बीएसएनएल सहित सभी दूरसंचार कंपनियों के एक या दो टॉवर में ही थ्री जी तकनीक स्थापित किया गया है। नगर का 80 प्रतिशत क्षेत्र अब भी मोबाइल थ्री जी सेवा के दायरे से बाहर है। लेकिन जानकारी के अभाव में उपभोक्ता 3 जी के महंगे रिचार्ज लेकर 2 जी नेटवर्क का उपयोग कर रहे हैं। कंपनियों द्वारा राजस्व के हिसाब से थ्रीजी तकनीकी टॉवरों में स्थापित किया जाता है। लेकिन नगर के किन क्षेत्र के उपभोक्ताओं को थ्रीजी का लाभ मिलेगा और कौन सा क्षेत्र इसके दायरे से बाहर रहेगा,इसे कोई भी कंपनी स्पष्ट नहीं करती।
वर्जन
पंड्रापाठ में वी सेट संचालित टॉवर लगाया गया है। इस वजह से तकनीकी दिक्कत आती है। जल्द ही तकनीकी गड़बड़ी को दूर टॉवर शुरू कर दिया जाएगा। संजय अग्रवाल,टीडीएम,रायगढ़
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