नई दिल्ली. महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) के भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) में विलय की कोशिशों को लगातार झटका लग रहा है. इन दोनों के विलय में देरी हो रही है. इसकी वजह है वित्तीय कारण (Financial Reasons), जिसकी वजह से केंद्र सरकार इन दोनों दूरसंचार कंपनियों का विलय (Telecom Companies Merger) नहीं कर पा रही है.
संचार राज्यमंत्री (Minister of State for Communications) देवुसिंह चौहान ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है. वैसे वित्तीय कारणों के अलावा इस विलय में देरी की कई अन्य वजहें भी हैं.
इसलिए विलय पर लगी है रोक
उन्होंने कहा, केंद्र ने 23 अक्टूबर 2019 को दोनों सरकारी दूरसंचार
कंपनियों में सुधार (Revival) की योजना को मंजूरी दी थी. इनमें अन्य बातों
के साथ बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय के लिए सैद्धांतिक मंजूरी भी शामिल
है. लेकिन, एमटीएनएल पर अत्यधिक कर्ज सहित अन्य वित्तीय कारणों से उसका
बीएसएनएल के साथ विलय फिलहाल रोक दिया गया है.
एमटीएनएल पर 26500 करोड़ का कर्ज
बीएसएनएल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर (BSNL Chairman and Managing
Director) पीके पुरवार ने एक संसदीय समिति के सामने इस संबंध में रिपोर्ट
दी है. उसमें कहा गया है कि दूरसंचार विभाग एक स्पेशल पर्पज व्हीकल के तहत
एमटीएनएल के 26,500 करोड़ रुपये के कर्ज और उसकी संपत्तियों पर विचार करे.
पुरवार एमटीएनएल के भी प्रमुख हैं.
भगवान भी नहीं खत्म कर सकते समस्या
26,000 करोड़ रुपये के एमटीएनएल के कर्ज पर पुरवार का कहना है, भगवान भले
ही धरती पर आएं और इसकी समस्याओं के समाधान की कोशिश करें, कंपनी को
पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता है. हमें इस सच को स्वीकार करना होगा.
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि एमटीएनएल का बीएसएनएल में विलय कर दिया जाना
चाहिए.
70,000 करोड़ के रिवाइवल प्लान को मंजूरी
बीएसएनएल इस समय देश के 20 टेलीकॉम सर्किल (Telecom Circles) में
सेवाएं दे रही है. एमटीएनएल दिल्ली और मुंबई में मौजूद है. ये टेलीकॉम
सर्किल राज्यों से जुड़े होते हैं. एक सलाहकार समिति का कहना है कि विलय
से नई कंपनी पर 45000 करोड़ रुपये के कर्ज की देनदारी (Outstanding Debt) आ
जाएगी. इससे नई कंपनी के लिए नई मुसीबत खड़ी हो सकती है. केंद्र सरकार ने
पिछले साल दोनों दूरसंचार कंपनियों के लिए 70,000 करोड़ रुपये के रिवाइवल
प्लान को मंजूरी दी थी.
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