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बीएसएनएल के 94 कर्मियों को वीआरएस देने की तैयारी, छह माह तक नौकरी शेष रहने वाले कर्मी होंगे शामिल

आजमगढ़, जेएनएन। भारत संचार निगम लिमिटेड की स्थिति दिनों दिन खराब होती जा रही है। कर्मचारी पहले से ही यहां निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। निजीकरण की दिशा में भले ही अब तक कदम न बढ़े हो पर
अब पचास वर्ष से ऊपर के कर्मचारियों को वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्त योजना) देने की तैयारी शुरू हो गई है। जिले में कुल 94 बीएसएनएल कर्मी इसकी जद में आ रहे हैं। विभाग इन अफसरों व कर्मचारियों का दस्तावेज जुटा रहा है। इसमें उन लोगों को ही रखने की बात है कि जिनकी नौकरी मात्र छह माह से ऊपर रह गई है। छह माह से नीचे वालों पर वीआरएस लागू नहीं किया जाएगा।
जनपद में कुल 151 अफसर व कर्मचारी तैनात हैं। इसमें ए, बी, सी व डी श्रेणी के अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं। कई सालों से सरकारी क्षेत्र की संचार कंपनी बीएसएनएल घाटे के दौर से गुजर रही है। उसे घाटे से उबारने के लिए पिछले दिनों केंद्र सरकार रीवाइवल प्लान ले आई। निगम की जितनी कमाई है, उससे दोगुना से अधिक खर्च है। इसका बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और भत्ते पर खर्च होता है। इसलिए 50 साल से अधिक उम्र वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को वीआरएस देने की शासन से घोषणा की गई है। इनके वीआरएस लेने से कंपनी के खर्चे कम होंगे, तब वह उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा दे सकेंगे।
आठ लाख घाटे में हैं विभाग
वर्तमान समय में 151 कर्मियों पर कुल 67 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन के रूप में दिया जा रहा है जबकि बीएसएनल की कुल आमदनी प्रतिमाह 59 लाख की हो रही है। इसमें लैंडलाइन फोन से 20 लाख और मोबाइल से 42 लाख की आमदनी शामिल हैं। इसकी वजह से विभाग का मेंटीनेन्स नहीं हो पा रहा है और बीएसएनल की सेवाएं बाधित हो रही हैं।

क्या है घाटे का कारण

जीओ ने पहले उपभोक्ताओं को निश्शुल्क सुविधा देकर अपना कस्टमर बना लिया। रिलायंस, टाटा, यूनिनार, एयरसेल आदि कंपनियां बंद हो गई। वोडाफोन व आइडिया में मर्ज हो गई हैं। अब जीओ, वोडाफोन, एयरसेल व बीएसएनएल ही अस्तित्व में है। कंपटीशन की वजह से बीएसएनएल के उपभोक्ता कट गए। विभाग ने फोर जी दिया ही नहीं। महाप्रबंधक आरके जायसवाल ने कहा कि शासन ने बीएसएनएल कर्मियों के लिए बेहतर मौका दिया है। इसका लाभ अधिकारी व कर्मचारियों को लेना चाहिए। बिना कार्य के सरकार तनख्वाह दे रही है। इससे अर्थव्यवस्था जहां मजबूत होगी वहीं बीएसएल का विकास भी होगा और घाटा भी लगभग खत्म हो जाएगा।

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