रविशंकर प्रसाद का निर्देश, कहा वीआरएस-संपत्ति बिक्री में तेजी लाए MTNL-BSNL

सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल को भारी-भरकम बेलआउट पैकेज देने के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दोनों कंपनियों से वीआरएस और मुद्रीकरण योजना में तेजी लाने को कहा है। साथ ही उन्होंने दूरसंचार क्षेत्र में अधिक आक्रामक तरीके से काम करने का भी निर्देश दिया है।
मामले से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि केंद्रीय मंत्री ने दोनों कंपनियों के निदेशक मंडल के साथ बैठक में स्पष्ट तौर पर कहा है कि उन्हें सरकार की ओर से मजबूत प्रोत्साहन पैकेज दिया गया है और अब उन्हें अधिक प्रतिस्पर्धी बनने के लिए कदम उठाने होंगे। सरकार ने पिछले महीने दोनों कंपनियों की विलय योजना पेश करते हुए करीब 69 हजार करोड़ रुपये का पैकेज मंजूर किया था। इस योजना में दोनों कंपनियों की संपत्तियों का मौद्रिकरण और कर्मचारियों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना भी शामिल है। सूत्रों ने बताया कि प्रसाद ने दोनों कंपनियों के निदेशक मंडल से साफतौर पर कहा है कि वे अपने प्रदर्शन में जल्द सुधार लाने का प्रयास करें। 

शुरू होगी 4जी सेवा 

सरकार ने दोनों कंपनियों को 4जी सेवा शुरू करने को स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए भी फंड उपलब्ध कराए हैं। इसके तहत 20,140 करोड़ रुपये 4जी स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए मिलेंगे। इस पर लगने वाले जीएसटी के भुगतान के लिए भी 3,674 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। कंपनी अपने कर्ज को सॉवरेन गारंटी में बदलकर 15,000 करोड़ रुपये जुटाएगी। साथ ही सरकार की ओर से 17,160 करोड़ वीआरएस योजना और 12,768 करोड़ सेवानिवृत्ति के बकाए के रूप में दिए जाएंगे। दोनों कंपनियों अगले तीन वर्षों में संपत्ति बिक्री से 37,500 करोड़ रुपये जुटाएंगी। करीब एक दशक से घाटे में चल रहीं दोनों कंपनियों पर कुल 40 हजार करोड़ का कर्ज बकाया है। 

कंपनियों के बकाया भुगतान में छूट से क्षेत्र को नुकसान : जियो


रिलायंस जियो ने बराबरी के अवसर पर अपनी लड़ाई जारी रखते हुए दूरसंचार मंत्री को पत्र लिखा है। कंपनी ने कहा है कि वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल के बकाया भुगतान में छूट दिया जाना सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है और इससे दूरसंचार क्षेत्र को नुकसान होगा। जियो ने कहा, शीर्ष अदालत ने 24 अक्तूबर के फैसले में कहा था कि दूरसंचार लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क पर भी वैधानिक शुल्क का भुगतान करना होगा। ऐसे में पिछले 14 साल से बकाए पर ब्याज और जुर्माने में छूट दिया जाना इस आदेश की अवहेलना होगी। इन कंपनियों पर पिछला कुल बकाया 1.42 लाख करोड़ रुपये का है। सीओएआई ने भी सरकार से कंपनियों को छूट दिए जाने की मांग की थी। इस पर जियो ने कहा कि ऐसा करने से क्षेत्र में एक गलत परंपरा की शुरुआत होगी।
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