हरदोई: ²श्य एक: शाहाबाद क्षेत्र के दलेलनगर निवासी उदयवीर टेलीफोन एक्सचेंज के बाहर बच्चे को गोद में लिए खड़े थे। बोले, आधार कार्ड बनवाने आए हैं। बच्चा परेशान हो गया। दो सौ रुपये लिए तब कहीं जाकर टोकन दिया और एक घंटे बाद आने को कहा है। उनके साथियों से भी रुपये लिए गए।
²श्य दो: टड़ियावां क्षेत्र के नउआखेड़ा के लालजीत बच्चे का आधार कार्ड संशोधन कराने आए। बोले कि 150 रुपये लिए गए हैं। पहले उनसे कहा गया कि मोबाइल सिम लो। सिम होने की बात कही तो भी कहा कि 150 रुपये तो जमा ही करने पड़ेंगे। रुपये दिए के बाद ही आवेदन पत्र जमा किया।
हद है। बच्चों के आधार कार्ड बनवाने या फिर संशोधन कराने के नाम पर खुलेआम अभिभावकों से वसूली हो रही है। प्रधान डाकघर में पांच सौ रुपये का खाता खोला जाता तो पड़ोस में ही स्थित टेलीफोन एक्सचेंज में तो जबरदस्ती बीएसएनएल का सिम दिया जाता है। खबर में शामिल दो उदाहरण हकीकत बताने के लिए काफी हैं।
आधार कार्ड वैसे तो सभी के लिए जरूरी है, लेकिन इन दिनों परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की ड्रेस, बैग आदि के लिए अभिभावकों के खातों में भेजे जाने वाले रुपयों के लिए बच्चों के आधार कार्ड सत्यापित हो रहे हैं, जिसके लिए गांवों से लोग बच्चों को लेकर भटकते हैं। दूर दूर से आने वाले लोगों के बच्चे गर्मी में परेशान तो हो ही जाती हैं। उनसे वसूली भी होती है। सिविल लाइन गांधी भवन के सामने स्थित टेलीफोन एक्सचेंज में खुलेआम सिम और आवेदन के नाम पर रुपये लिए जा रहे हैं। आधार कार्ड बनवाने में तो कोई शुल्क नहीं पड़ता, हां संशोधन में जरूर 50 रुपये शुल्क की व्यवस्था है पर ऐसा नहीं हो रहा है और 150 से लेकर 200 और किसी किसी से तो उससे भी अधिक रुपये लिए जा रहे हैं। धड़ल्ले से चल रहे खेल पर जिम्मेदार आंख बंद किए बैठे हैं। --आधार कार्ड संशोधन या फिर नया बनवाने में बीएसएनएल का सिम लेना कोई जरूरी नहीं है और न ही इसकी कोई बाध्यता है। अगर टेलीफोन एक्सचेंज में ऐसा किया जा रहा है तो गलत है और वह इसकी जांच कराएंगे।---आलोक कुमार, जिला प्रबंधक दूर संचार 15 एचआरडी 05
खाता का काउंटर हटा पर नहीं दूर हुई अव्यवस्था प्रधान डाकघर में खाता खुलवाने के बाद ही आधार कार्ड बनाने के खेल को दैनिक जागरण के उठाने पर शुक्रवार को खाता खोलने का काउंटर तो हटा दिया गया, लेकिन अव्यवस्था दूर नहीं हुई। सुबह-सुबह टोकन बांट दिए गए और फिर लोगों को लौटा दिया गया।
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